गायत्री मन्त्र —

उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वन्दनीया माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वन्दनीया माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में (विचारों में) ढूँढ़ेगी।’’ — वन्दनीया माताजी

मित्रो! मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ।.....हम व्यक्ति के रुप में कब से खत्म हो गए। हम एक व्यक्ति हैं? नहीं हैं। हम कोई व्यक्ति नहीं हैं। हम एक सिद्धांत हैं, आदर्श हैं, हम एक दिशा हैं, हम एक प्रेरणा हैं।.....हमारे विचारों को लोगों को पढ़ने दीजिए। जो हमारे विचार पढ़ लेगा, वही हमारा शिष्य है। हमारे विचार बड़े पैने हैं, तीखे हैं। हमारी सारी शक्ति हमारे विचारों में समाहित है। दुनिया को हम पलट देने का जो दावा करते हैं, वह सिद्धियों से नहीं, अपने सशक्त विचारों से करते हैं। आप इन विचारों को फैलाने में हमारी सहायता कीजिए। — पूज्य गुरुदेव


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24 प्रवचन पूज्य गुरुदेव — 5 मिनट
अखण्ड ज्योति पत्रिका से संकलित पूज्य गुरुदेव और वन्दनीया माताजी के प्रवचन
पूज्य गुरुदेव प्रवचनमाला से संकलित
पूज्य गुरुदेव के सन् १९७६ के प्रवचन
पूज्यवर की अमृतवाणी - १, वां ६८ के प्रवचन
१. मनुष्य में देवत्व का उदय व धरती पर स्वर्ग का अवतरण
२. देव-संस्कृति के दो आधार — गायत्री और यज्ञ
३. आध्यात्मिक कायाकल्प के सूत्र और सिद्धान्त
४. साधना से सिद्धि
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