अ.२. १. विस्तार और परिभाषायें

यह अनुमति पत्र किसी भी निर्देश पत्र या किसी अन्य कृति के लिये लागू है जिसमें सर्वाधिकारी द्वारा ऐसी सूचिका मौजूद हो जिसमें यह लिखित हो कि कृति इस अनुमति पत्र के तहत वितरित की जा सकती है। नीचे उल्लेखित "दस्तावेज़", इस प्रकार का कोई भी निर्देश पत्र या कृति हो सकता है। जनता का कोई भी सदस्य अनुमतिप्राप्तकर्ता है, और वह "आप" शब्द द्वारा सम्बोधित है।

दस्तावेज़ के "परिवर्तित उद्धरण" हैं, कोई भी कृति जिसमें यह दस्तावेज़ या उसका कुछ हिस्सा है, या तो शब्दशः अन्यथा कुछ परिवर्तनों और/या किसी अन्य भाषा में अनुवादित।

दस्तावेज़ का "गौण विभाग" एक नामित परिशिष्ट या शुरुआती विभाग है जो कि केवल प्रकाशकों या लेखकों के दस्तावेज़ से सम्बन्ध, या दस्तावेज़ के विषय वस्तु या सम्बन्धित विषयों के बारे में कुछ जानकारी देता है। इस विभाग में ऐसा कुछ मसला नहीं होगा जो कि मूल विषय से सीधा ताल्लुक रखता हो। (उदाहरण, यदि दस्तावेज़ का एक हिस्सा गणित की पुस्तिका है, तो गौण विभाग में कुछ गणित नहीं समझाई गई होगी। यह सम्बन्ध विषय वस्तु या उससे सम्बन्धित मसलों के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव या कानूनी, व्यावसायिक, दार्शनिक, नैतिक या राजनैतिक जुड़ाव के कारण हो सकता है।

"अपरिवर्तनीय विभाग" विशेष गौण विभाग हैं, जिनके शीर्षक (उस सूचिका में, जो यह कहती है कि दस्तावेज़ इस अनुमति पत्र के तहत प्रकाशित है) बतौर अपरिवर्तनीय विभाग उल्लेखित हैं।है।

"आवरण लेख" कुछ छोटा मसला होता है जो कि (उस सूचिका में, जो यह कहती है कि दस्तावेज़ इस अनुमति पत्र के तहत प्रकाशित है) बतौर अग्र आवरण लेख या बतौर पृष्ठ आवरण लेख उल्लेखित है।

दस्तावेज़ की "पारदर्शी" प्रति का अर्थ है यन्त्र पठनीय प्रति, ऐसे प्रारूप में निरूपित जिसके विनिर्देश आम जनता को उपलब्ध हों, जिसकी विषय वस्तु को सीधे, बिना किसी घुमाव फिराव के देखा या सम्पादित किया जा सकता हो - आम पाठ सम्पादन तन्त्रों द्वारा, या (पिक्सेलों से बने चित्रों के लिये) आम चित्रण कार्यक्रमों द्वारा, या (रेखाङ्कनों के लिये) आसानी से उपलब्ध रेखाङ्कन सम्पादन तन्त्रों द्वारा, जो पाठ प्रारूपक यन्त्रों के लिये इन्पुट का काम कर सके, या पाठ प्रारूपक यन्त्रों के लिये इन्पुट का काम कर सकने वाले प्रारूपों में स्वचालित रूप से परिवर्तित हो सके। यदि किसी पारदर्शी फ़ाइल प्रारूप में प्रति बनाई गयी हो, लेकिन यदि उसका मार्कप पाठकगण द्वारा पुनः परिवर्तन को रोकने या कठिन बनाने के मकसद से परिकल्पित किया गया हो, तो वह प्रति पारदर्शी नहीं कहलायेगी। जो प्रति "पारदर्शी" न हो उसे "अपारदर्शी" कहा जायेगा।

पारदर्शी प्रतियों के लिये उचित प्रारूपों में शामिल हैं बिना मार्कप की सादी ऍस्की, टेक्सिन्फो इन्पुट प्रारूप, लेटेक्स इन्पुट प्रारूप, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डी॰टी॰डी॰ का इस्तेमाल करने वाली ऍस॰जी॰ऍम॰ऍल॰ या ऍक्स॰ऍम॰ऍल, और मानक-अनुपालक, मानवीय परिवर्तन के लिये अनुकल्पित, सादी ऍच॰टी॰ऍम॰ऍल। अपारदर्शी प्रारूपों में शामिल हैं पोस्ट्स्क्रिप्ट, पी॰डी॰ऍफ़॰, मालिकाना प्रारूप जो केवल मालिकाना शब्द संसाधकों द्वारा पढ़े या सम्पादित किये जा सकते हैं, ऍस॰जी॰ऍम॰ऍल॰ या ऍक्स॰ऍम॰ऍल जिसके लिये डी॰टी॰डी॰ और/या संसाधक अस्त्र आमतौर पर उपलब्ध नहीं हैं, व कुछ शब्द संसाधकों द्वारा यन्त्रजनित ऍच॰टी॰ऍम॰ऍल, जो कि केवल आउट्पुट के लिये ही हो।

"मुख पृष्ठ" का अर्थ है, छपी हुई पुस्तक के लिये, शीर्षक पृष्ठ, और उसके बाद के अन्य पृष्ठ जो कि इस अनुमति पत्र को पठनीय हालत में मुख पृष्ठ पर रखने के लिये आवश्यक हैं। जो कृतियाँ ऐसे प्रारूप में हैं जिनका कोई ख़ास मुख पृष्ठ नहीं होता, उनके लिये "मुख पृष्ठ" का अर्थ है, कृति के सबसे बड़े व महत्वपूर्ण शीर्षक के पास का पाठ, जो कि पाठ के मुख्य मसले के पहले हो।

1
Hosted by www.Geocities.ws