कनाड़ा के मेल का, मुंबई की फीमेल से, ई मेल के ज़रिये बेमेल मेल हो गया। देखते देखते खेल हो गया।
कल शाम मेरे पड़ौसी की लड़की, मेरे घर आई और बोली, अंकलजी, कल आप घर में ही रहिये, कहीं जाइये मत, मेरी शादी है।
न बाजे गाजों का शोरगुल, न रिस्तेदारों की हलचल, न ढ़ोलक की थाप, न मेंहदी की छाप। और अभी तो शादी का मौसम भी नहीं है। वो बोली, शादी इंटरनेट पर है।
पानी में शादी, हवा में शादी तो सुनी थी, मगर इंटरनेट पर शादी? बड़ा अजीब लगा सुनकर। कैसे हुआ यह सब?
ई मेल से परिचय हुआ, चाट रूम में रोमांस बढ़ा, अब डबल्यू डबल्यू डबल्यू डाट मेरिज डाट काम पर शादी है। ई पंडित मंत्रोच्चार करेंगे, और आप जैसे दर्शक आर्शीवाद देंगे। |
पडौसी की लड़की थी, समझाना धर्म था, बोला देखो! इस तरह के कम्प्यूटर प्रेम में बडा खतरा है। ई मेल के जरिये बडे बडे वायरस आते हैं। तुम्हारे प्यार की डिस्क क्रेश हो जायेगी, और रोमांस का पैकअप हो जायगा।
वो बोली! परवाह नहीं, अंकल! मेरे पास सालिड बैकअप है। प्यार का साफ्टवेयर फिर लोड कर लूंगी।
समझाना बेकार था, बोला अच्छा बताओ, मुझे क्या करना है?
बोली, कुछ नहीं अंकल, कल बस घर में रहना है। शाम को छह और सात के बीच इंटरनेट खुला रखना है। मेरी शादी वाली साइट पर मुझे और केन को माउस घुमाकर शादी के फेरे लेते देखता है। और, जब शादी हो जाए तब शगुन के रूप में अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर बताई जगह पर भरना है। |