जब स्वयं को विकल तुम अनुभव करोगे

जब स्वयं को विकल तुम अनुभव करोगे।
तब हमारा स्नेह देता साथ होगा।।
आर्त स्वर में जब कभी कुछ भी कहोगे।
घाव पर मरहम लगाता हाथ होगा।।

कष्ट या कठिनाइयों से तुम न डरना।
भंवर से मझधार से संघर्ष करना।।
जीत होगी जिंदगी की हर डगर में।
लोक जीवन में नया उत्साह भरना।।
पुत्र तुमको जब अकेलापन खलेगा।
माँ- पिता का कवच भी तब साथ होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।

हम तुम्हारी श्वाँस में ऊर्जा भरेंगे।
खून की हर बूँद तक नव प्राण देंगे।।
यह मधुर सम्बन्ध जन्मों तक निभेगा।
सूक्ष्म में रहकर तुम्हें वरदान देंगे।।
जब कभी हारे-थके अनुभव करोगे।
पीठ को थपकी लगाता हाथ होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।

आस है तुम हर दुखी को प्यार दोगे।
आँसुओं को तुम नई मुस्कान दोगे।।
जो भटकते हैं यहाँ जीवन समर में।
दीप बनकर ज्योति का अनुदान दोगे।।
कार्य जब उत्साह से पूरा करोगे।
प्यार आशीर्वाद देता हाथ होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।

पुत्र तुम मजबूत कन्धे हो हमारे।
अंग-अवयव हो तुम्हीं हो नयन प्यारे।।
भार तुम पर आज गुरुतर सौंपते हैं।
पूर्णतः निश्चिंत तुम सबके सहारे।।
शक्ति की तुमको कमी अनुभव न होगी।
ब्रह्मबल निश्चय तुम्हारे साथ होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।

साधकों श्रम बिन्दु जब भूपर गिरेंगे।
तब धरा पर प्यार के उपवन खिलेंगे।।
उस सुवासित शान्ति के वातावरण में।
इस जगत को स्वर्ग जैसा सुख मिलेगा।
जब तुम्हारी ज्योति डग-मग सी दिखेगी।
दिव्य आँचल का सहारा साथ होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।

एक थे पहले! पुनः अब एक होंगे।
द्वैत के बन्धन पुनः हम तोड़ देंगे।।
देह से हो दूर तुम आहें न भरना।
हम तुम्हारी चाह को पूरा करेंगे।।
चर्म के इन चक्षुओं को जब ढकोगे।
प्रखर सविता रूप का आभास होगा।।

जब स्वयं को विकल तुम ... मरहम लगाता हाथ होगा।।