हर विपदा में सृजन शिल्पियों

हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।
हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।

दिव्य शक्ति का वैसे तो, होगा हर पल आभास तुम्हें।
तुम्हें लगेगा जैसे छूकर, आती है हर साँस उन्हें।।
अगर कभी उनकी यादों में, फिर भी आँखें भर आएँ।
सृजन शावको! मेरी ममता, का तुम आँचल पाओगे।।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।
हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।

समय कठिन है, आज पतन से, घिरा हुआ हर व्यक्ति यहाँ।
सिर्फ स्वार्थ में लगी हुई है, हर प्रतिभा हर शक्ति यहाँ।।
लिए आत्म-विश्वास चीरना, झोंके तेज हवाओं के।
मन में जब श्रद्धा उमड़ेगी, हमें उसी पल पाओगे।।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।
हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।

इन विभीषिकाओं से लेकिन, जरा नहीं तुम घबराना।
यह है अन्तिम पहर रात का, बिना डरे बढ़ते जाना।।
छँटना ही है घना अँधेरा, सूर्य उदय होना ही है।
तुमने दी आवाज आज तो, श्रेय तुम्हीं कल पाओगे।।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।
हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।

करना जो भी काम उसे तुम, त्याग भावना से करना।
हो अन्याय बड़ा पर्वत से, तो भी कभी नहीं डरना।।
इतना तपना स्वयं कि कुन्दन, बन जाए व्यक्तित्व प्रखर।
युग के फौलादी साँचे में, तात तभी ढल पाओगे।।
करो सदा विश्वास कि पथ पर, मेरा सम्बल पाओगे।।
हर विपदा में सृजन शिल्पियो! तुम साहस बल पाओगे।