दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा

दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा, दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा।
मेरा तो कुछ नहीं जगत में, दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा॥
तन का दीप उमर की बाती, चहुँ दिशि में उजियार तुम्हारा॥

एक किरण में ज्योति पुँज तुम, भीतर-बाहर कहीं नहीं तम।
दृष्टि पन्थ आलोकित तुमसे, ज्योतिर्मय श्रृंगार तुम्हारा॥

तुम निशि- दिन, तुम साँझ सकारे, तुमने आकुल हृदय उबारे।
तुम घट, पनघट, बंशीवट तुम, जीवन भर आभार तुम्हारा॥

धार अजानी निठुर किनारा, डूब रहे को तुम ही सहारा।
तट के बन्धन सभी तुम्हारे, सम्बल हर मझधार तुम्हारा॥

तुम घन-सावन, तुम मन भावन, तुम सा कौन जगत में पावन।
तुम वृन्दावन, तुम्हीं द्वारिका, अग-जग को आधार तुम्हारा॥

मंदिर, मस्जिद हर गुरुद्वारे, हम भटके हैं द्वारे-द्वारे।
इस जीवन में रास न आया, भेद-भरा संसार तुम्हारा॥