चर-अचर सभी जड़ चेतन में, हे नाथ तुम्हारा रूप दिखे

चर-अचर सभी जड़ चेतन में, हे नाथ तुम्हारा रूप दिखे।
रोते दुखियों के आँसू में, हे देव तुम्हारा दरस मिले॥

हर पल तेरा ही ध्यान रहे, हर क्षण होठों पर नाम रहे।
जीवन के अँधेरे पथ में भी, कर्तव्य भाव का ज्ञान रहे॥
थक जाऊँ न मैं लम्बा पथ है, हे देव तुम्हारी शरण मिले॥

जब भी जन्मू इस धरती पर, हों साथ आप ही ध्यान रहे।
स्थूल सूक्ष्म कारण तक में भी, मिलने का वरदान रहे॥
हे देव मार्गदर्शक तुम हो, ऐसा हमको विश्वास मिले॥

हे करुणा के सागर प्रभुवर, मुझमें अटूट श्रद्धा भर दो।
यह तन-मन-जीवन निर्मल हो, परमार्थ भाव मुझमें भर दो॥
हो प्राण तुम्हीं, हो श्वाँस तुम्हीं, हे नाथ यही आभास मिले॥

हो साध्य तुम्हीं आराध्य तुम्हीं, साधन तन को स्वीकार करो।
है शक्ति-भक्ति नहीं साम-गान, फिर भी मुझ पर उपकार करो॥
जब तक हम पहुँचें मंजिल तक, कण-कण में नव उल्लास मिले॥

अब लक्ष्य बने हर मानव का, धरती को स्वर्ग बनाना है।
धरती पर रहे न अन्धकार, ऐसा देवत्व जगाना है॥
जब तक इस तन में श्वाँस रहे, हे नाथ तुम्हारी भक्ति मिले॥