चलो बदल दो राह समय की

चलो बदल दो राह समय की. . . . .
बदल दो राह समय की. . . . .

तुम कर्मों से भाग्य बदल दो, भावी को निश्चय का बल दो।
युग अपने निर्भय हाथों से, सिरा पकड़ लो आज प्रलय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .

बात करो नौका खेने की, उस तट तक पहुँचा देने की।
बंदी कर लो मँझधारों को, तुम सत्ता मानो न निलय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .

हार-हार का स्वप्न असम्भव, एक अटल हो अभिनव अनुभव।
स्वयं मनुजता परिभाषा है, जीवन की, जागृति की जय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .