चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना, क्या करूँ प्यार की धार रुकती नहीं

चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना, क्या करूँ प्यार की धार रुकती नहीं।
कौन कितना अभी तक इसे पी सका, पता तो नहीं किन्तु चुकती नहीं॥

स्नेह के स्रोत से फूटते हर समय, छल-छलाकर छलक छूटते हर समय।
कोई लूटे न लूटे कहो क्या करें, हम लुटा कर मजा लूटते हर समय॥
जीत ही जीत है बाँटने में सदा, एक क्षण द्वार पर हाट रुकती नहीं॥
चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना ....................

यह पता है कि प्यासे बहुत है अभी, प्यार के बिना उदासे बहुत हैं अभी।
प्यार के नाम पर लूट ही लूट है, इस तरह के तमाशे बहुत हैं अभी॥
है जरूरत जहाँ वस्तुतः प्यार की, प्यार की धार उस द्वार रुकती नहीं॥
चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना ....................

इसलिये प्यार की धार बहती सदा, हर समय धार हर मार सहती सदा।
वह उतर जाये हर प्यास के कंठ में, प्यार की धार की साध रहती सदा॥
देखकर हर तड़पती हुई प्यास को, प्राण से प्रीति बौछार रुकती नहीं॥
चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना ....................

प्यार की धार तो खेलती प्राण पर, बूँद टिकती नहीं शुष्क पाषाण पर।
प्यार की पीर से जो पिघलने लगे, क्यों नहीं वह हृदय आज इन्सान पर॥
कोई उर्वर धरा तो न प्यासी रहे, इसलिये यह द्रवित धार रुकती नहीं॥
चैन आता नहीं प्यार बाँटे बिना ....................