अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये

अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।
ठोकरें खा रहे हैं बचा लीजिये।।

नैया जीवन की है नाथ मझधार में,
करके करुणा किनारे लगा दीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।

छा रहा है अँधेरा ये अज्ञान का,
ज्ञान की ज्योति मन में जगा दीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।

ध्यान होगा किसी को किसी का प्रभु,
अपना तू ही है हमसे लिखा लीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।

देव वाणी तेरी ज्ञान-अमृत भरी,
भर के प्याला हमें एक पिला दीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।

मूर्ख मन की दिशा पाप की ओर है,
इसको चरणों में अपने घुमा लीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।

हमको है ओ पिता! तेरा ही आसरा,
गोद अपनी में स्वामी बिठा लीजिये।
अपने भक्तों में हमको बिठा लीजिये।।