अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम

अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।


भाषा न प्रकट कर सकी जिसे, अभिव्यक्त भाव भी कर न सके।
बन अश्रुधार जो बिखर गए, चिर मौन वही उद्गार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


जीवन गिरि, शिखरों-सा दुस्तर, चहुँ दिशि बस प्रस्तर ही प्रस्तर।
पर चीर उन्हें जो बह निकली, ऐसी गंगा की धार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


पायल की झनक बुला न सकी, हीरों की खनक लुभा न सकी।
जिस स्वर को सुन उर कमल खिला, वह मधु भीनी गुँजार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


मेरे सपनों का प्राण है जो, जीवन का शुचि वरदान है जो।
भटकाया जिसने जनम-जनम, आत्मा का वही दुलार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


जिसको पी जागा भक्ति भाव, रह गया मुक्ति का नहीं चाव।
जिससे चेतना नियन्त्रित है, बस वही सबल आधार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


त्रुटियों पर ध्यान नहीं देना, यदि गिरूँ तुरन्त उठा लेना।
मैं निर्बल हूँ तुम बलशाली, सबके करुणा आगार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।


हम सरिता से, तुम अतुल सिन्धु, हम चिर प्यासे तुम अमृत बिन्दु।
अपने में ही लय कर लेना, प्रभुवर अत्यन्त उदार हो तुम।।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।
अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।

अन्तर के निर्मल प्यार हो तुम, भगवान मेरा संसार हो तुम।
भगवान मेरा संसार हो तुम। भगवान मेरा संसार हो तुम।