राही जाना पथ मत भूल

राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल।
चाहे फूल बिछें हो मग में, चाहे अनगिन शूल॥
राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल॥

चहुँ-दिशि छाये अँधियारा, गरजे धन बरसे जल-धारा।
धीरज से ले काम अभय तू, निज साहस मत भूल॥
राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल॥

अनगिन आकर्षण आ जाएँ, स्वर्ण-शैल बहु पथ मिल जाएँ।
प्रीति उर्वशी को पाकर भी, तनिक न जाना भूल॥
राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल॥

चलना तेरा काम अकेला, यह जग तो कुछ दिन का मेला।
तेरा ही बलिदान बनेगा, नव जागृति का मूल॥
राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल॥

पर हित शिव-सा विष पी जाना, स्वार्थ-सुधा को हँस ठुकराना।
प्रेम शान्ति समता के बोना, सारे जग में फूल॥
राही जाना पथ मत भूल, राही जाना पथ मत भूल॥