प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर

प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर।
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर॥

बढ़े चलते, बढ़े चलते, न चिन्ता दूर मंजिल की।
कभी तो पार पायेंगे, मनोबल के सहारे पर॥
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥


न मुड़कर देखते देखते पीछे, कठिन मंजिल सतत साथी।
जिन्हें कुछ काम करना है, नहीं मिटते मिटाने पर॥
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥

अमिट विश्वास का बल ले, कुटिल जग में उतरते हैं।
वही तो सिद्ध कहलाते, बराबर आजमाने पर॥
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥

यही तो इतिहास कहता है, चढ़ा दो प्राण जन-हित में।
सफलता तो सदा मिलती, स्वयं को ही मिटाने पर॥
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥

अचल निज ध्येय पर होकर, मिला सम्मान था हमको।
कमर कस ली अरे हमने, नया मानव बनाने पर॥
कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥

कदम हटते नहीं पीछे, पहुँचते हैं किनारे पर।
प्रवासी रुक नहीं सकते, कभी मन के इशारे पर॥