निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय

निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥

कै कोई जागे रोगी-भोगी, कै कोई जागे चोर।
कै कोई जागे सन्त महात्मा, लगी हरि से डोर॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥

चार पहर धंधे में बीते, चार पहर गई सोय।
घड़ी एक हरि नाम न लीनो, मुक्ति कहाँ से होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥

स्वर्ग अटारी चढ़ गई और, रही करम को रोय।
कहत कबीर सुनो भई साधो, अब गति कैसी होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥

निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥