नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

तिनके-तिनके जोड़ बया जो, अपना नीड़ बनाती।
आपने छौनों को पावस से, जननी बया बचाती॥
एक-एक कर उसी तरह तुम, सबको यहाँ बुलाया।
भव की उमस भरी पावस से, तुमको तात बचाया॥
अपने प्राण जलाये लेकिन, तुमको राह दिखाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

चारों ओर विषमताओं के, लगे हुए हैं डेरे।
मानव मन को कुण्ठाओं के, दुर्गम सैनिक घेरे॥
पाप-ताप की काल कोठरी में, यह जीव बिचारा।
पड़ा कराह रहा पर कोई, देता नहीं सहारा॥
देना उन्हें प्रकाश विश्व में, अन्ध तमिस्रा छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

कर अपना उद्धार दूसरों, को जो राह दिखाते।
इस धरती पर धन्य वही तो, महापुरुष कहलाते॥
सुप्त तुम्हारी उसी प्राण-प्रतिभा को, यहाँ जगाया।
अन्तःस्थल के पावन गंगा-जल से है नहलाया॥
घर-घर बँटे पुण्य पावनता, यह प्रसाद की नाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

अपना देश महान बने फिर, सुख-सम्पदा सुहाये।
पुण्य तिलक अपनी संस्कृति के, माथे में लग जाये॥
सभ्य समाज बने अपना सब, भव-बन्धन मिट जाये।
ज्ञान और विज्ञान सभी में, उन्नत ध्वज लहराये॥
विश्व-शान्ति की दसों-दिशाओं, में गूँजे शहनाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

जाओ मेरे लाल! दुआएँ, तुम लाखों ले जाओ।
भटकी हुई आत्माओं को, नूतन राह दिखाओ॥
आये थे तुम एकाकी पर, अब यह नहीं कहोगे।
साथ तुम्हारे अन्तःस्थल में, हम भी सदा रहेंगे॥
कैसी भी हो घड़ी साथ बन, होंगे हम परछाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥
कैसी भी हो घड़ी साथ बन, होंगे हम परछाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥

नयन-नयन में हृदय-हृदय में विकल वेदना छाई।
अन्तर छलके, आँसू ढुलके, करुणा भरी विदाई॥