मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ

प्रभो अपनी शरण में ले लो नाथ, मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ।
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥

जीवन भर हम एक बने हैं, नहीं कभी भी अलग हुए हैं।
वचन निभाओ मेरे स्वामी, पद वन्दन में ले लो नाथ॥
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥

साध्य बनो तुम इस साधन में, प्राण बनो तुम इस तन-मन में।
बंशी है यह जीवन मेरा, स्वर गुँजन में ले लो नाथ॥
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥

तन-मन है तुम्हें समर्पित, करूँ प्राण मैं किसको अर्पित।
यज्ञ रूप हो पावन ईश्वर, पूर्णाहुति में ले लो नाथ॥
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥

सागर हो तुम दिव्य ज्ञान के, वाणी हो तुम ईश गान के।
मेघ रूप मैं बन जाऊँगी, अब सागर में ले लो नाथ॥
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥
आस लगाये मैं बैठी हूँ, चरण शरण में ले लो नाथ॥
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ॥

करुणामय है रूप तुम्हारा, करुणामय सम्बन्ध हमारा।
करुणा मेरी तभी जगेगी, जब सुमिरन में ले लो नाथ॥