मैंने तेरी गीता गाई

मैंने तेरी गीता गाई। मैंने तेरी गीता गाई॥
टूटी-फूटी भाषा में भर, जग के कानों तक पहुँचाई।
मैंने तेरी गीता गाई॥

तेरे द्वार लगाया डेरा, जीवन सफल हुआ सब मेरा।
तेरे चरणों की रज लेकर, अंग-अंग में भस्म रमाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥

अश्रु बहाये चरणों पर जब, सत्यामृत की धार बही तब।
अपने छोटे से चम्मच से, प्यासे जग की प्यास बुझाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥

अल्प शक्ति धारी मैं प्राणी, बच्चे के समान है वाणी।
गागर में सागर भरने की, पर मैंने हिम्मत दिखलाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥

तेरी करुणा से जो पाया, वह इस अंजलि में ले आया।
गंगा से गंगाजल लेकर, गंगा को जलधार चढ़ाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥