महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है

महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥

जब से हम बिछुड़े हैं तुम से, दर्शन की चिर आस है।
रोती आँखें, व्याकुल अन्तर, तेरे बिना उदास है॥
अविरल अश्रुधार ने मेरी, प्यास और भड़काई है। ...प्यास और भड़काई है।
अविरल अश्रुधार ने मेरी, प्यास और भड़काई है॥
महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥

माटी के ये खेल खिलौने, अब न हमें बहलाएँगे।
प्राण तड़पते सदा रहेंगे, जब तक तुम्हें न पायेंगे॥
अमर तुम्हीं से प्यार किया है, नश्वरता ठुकराई है। ..नश्वरता ठुकराई है।
अमर तुम्हीं से प्यार किया है, नश्वरता ठुकराई है॥
महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥

आँखें अर्घ्य चढ़ाती निशि दिन, हृदय फटा ही जाता है।
दर्शन के चिर प्यासे हम तो, नहीं और कुछ भाता है॥
विकल वेदना मेरे उर में, बनकर बदली छाई है। ...बनकर बदली छाई है।
विकल वेदना मेरे उर में, बनकर बदली छाई है॥
महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥

अँधियारे को ज्योतित करती, कृपा किरण की आस है।
स्नेह सिंधु तेरी करुणा का, हमको दृढ़ विश्वास है॥
अन्तर की यह आशा ही तो, हमें यहाँ तक लायी है। ...हमें यहाँ तक लायी है।
अन्तर की यह आशा ही तो, हमें यहाँ तक लायी है॥
महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥

नश्वरता को प्रभु तेरा ही, फिर शाश्वत आधार मिले।
डूब रही जीवन नौका को, तेरी दृढ़ पतवार मिले॥
युगों-युगों से यह अभिलाषा, हमने प्रभु जगायी है। ...हमने प्रभु जगायी है।
युगों-युगों से यह अभिलाषा, हमने प्रभु जगायी है॥
महामिलन की आशा मुझको, शरण तुम्हारे लाई है।
पीड़ा भी प्यारी है जिसमें, ऐसी प्यास जगाई है॥