कैसे दें हम तुम्हें विदाई

जैसे कोई धेनु लवाई, शिशु की पीड़ा सही न जाई।
ऐसी विषम वेदना छाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥

तुमने कोटि पुण्य फल पाये, चलकर बहुत दूर से आये।
चेहरे थके हुए मुरझाये, फिर भी है उल्लास समाये॥
गुरुसत्ता ने टेर लगाई, तुमने मिलकर शपथ उठाई।
पथ में आयेगी कठिनाई, कैसे दे हम तुम्हें विदाई॥
जैसे कोई धेनु लवाई, शिशु की पीड़ा सही न जाई।
ऐसी विषम वेदना छाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥

जग में पीड़ा बढ़ती जाती, आँखें हैंं भर-भर कर आती।
दुनिया नहीं समझ कुछ पाती, शक्ति कहाँ से मन में आती॥
हमने सारी शक्ति लगाई, ऐसी ज्योति अखण्ड जलाई।
हाथ में त़ुम्हें मशाल थमाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥
जैसे कोई धेनु लवाई, शिशु की पीड़ा सही न जाई।
ऐसी विषम वेदना छाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥

कल का दिन ऐसा आयेगा, सूना आँगन हो जायेगा।
मन रोयेगा पछतायेगा, अन्धकार सा छा जायेगा॥
हमको देने लगी दिखाई, अपनी पीड़ा की परछाई।
हैं दोनों आँखें भर आई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥
जैसे कोई धेनु लवाई, शिशु की पीड़ा सही न जाई।
ऐसी विषम वेदना छाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥

साथ में हैं गुरुदेव तुम्हारे, अपनी हिम्मत कभी न हारें।
पग भी पीछे कभी न डारें, फिर से यह संसार सुधारें॥
देव संस्कृति है अकुलाई, जाये शपथ न कभी भुलाई।
है यह शुभकामना सुहाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥
जैसे कोई धेनु लवाई, शिशु की पीड़ा सही न जाई।
ऐसी विषम वेदना छाई, कैसे दें हम तुम्हें विदाई॥