जीवन बन तू फूल समान

जीवन बन तू फूल समान, पर उपकार सुरभि से सुरभित।
सन्तत हो सुख दान, जीवन बन तू फूल समान।।

स्वच्छ हो खिल जा प्यारे, तू भी परम प्रेम को धारे।
सुखदाई हो सबका जग में, पा सबसे सम्मान।।
जीवन बन तू फूल समान।।

कठिन कण्टकों के घेरे में, दारुण दुखदाई फेरे में।
पड़कर विचलित कहीं न होना, बनना नहीं अंजान।।
जीवन बन तू फूल समान।।

शत्रु मित्र दोनों का हित हो, पावन यह तेरा शुभ व्रत हो।
मधु दाता बन सबका प्यारा, तजकर भेद-विधान।।
जीवन बन तू फूल समान।।

दे तू सुरभि टूटने पर भी, पैरों तले कुचलने पर भी।
इस विधि से प्रभु की माला में, पा ले प्रिय स्थान।।
जीवन बन तू फूल समान।।

जीवन बन तू फूल समान, पर उपकार सुरभि से सुरभित।
सन्तत हो सुख दान, जीवन बन तू फूल समान।।