जीवन के आधार तुम्हीं हो

जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते।
विश्व-भुवन में मधुर-मनोरम, अनहद नाद सुनाते॥

तेरी ही छवि छिपी हुई है, सारे नील गगन में।
तुम्हीं प्रकाशित अखिल सृष्टि के, जड़-चेतन कण-कण में॥
विहस तुम्हीं खिल-खिला रहे हो, सौरभ भरे सुमन में।
मलयज से तुम बसे हुए हो, शीतल मंद पवन में॥
विश्व-रूप बन हर प्राणी में, दिखते तुम्हीं समाते॥
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते।
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते॥

तप पुँज तुमसे ही तापित, होता है यह दिनकर।
मधुर चाँदनी की शीतलता, पा जाता है शशिधर॥
ग्रह, नक्षत्र, ब्रह्माण्ड सभी, इंगित से चला रहे हो।
ज्योति पुँज! इन प्राण-ज्योति के, दीपक जला रहे हो॥
महाप्राण ये प्राण तुम्हीं से, गति चेतनता पाते॥
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते।
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते॥

हे प्रभु! अपना सारा जीवन, कर दूँ तुम्हें समर्पित।
सुख की सिहरन दुःख की तड़पन, हर्ष-शोक सब अर्पित॥
शुभ चरणों में लगा रहे अब, हर क्षण ध्यान हमारा।
भ्रमित न कर पाये हमको ये, गहन निशा अँधियारा॥
दिव्य प्रेरणा और शक्ति दे, रहना हमें चलाते॥
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते।
जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते॥

जीवन के आधार तुम्हीं हो, कण-कण में मुसकाते।
विश्व-भुवन में मधुर-मनोरम, अनहद नाद सुनाते॥