है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में

है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में।
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
अब भी वे रहते हैं प्रतिक्षण, शान्तिकुञ्ज के ही आँगन में।
है यह बात सखे॥

करुणापूर्ण हृदय उनका है, मधु ममत्व की राशि।
छोड़ हमें वे हो न सकेंगे, अन्य लोक के वासी॥
याद करो आ जाएँगे वे, अभी उदास नयन में।
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
अब भी वे रहते हैं प्रतिक्षण, शान्तिकुञ्ज के ही आँगन में।
है यह बात सखे॥

उनके जाने का न तनिक दुःख, हम निज मन में मानें
पूर्ण करें युग परिवर्तन का, कार्य उन्हें पहचानें
वे हैं शाश्वत दिव्यःज्योति नव, भर लें निज चेतन में
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
अब भी वे रहते हैं प्रतिक्षण, शान्तिकुञ्ज के ही आँगन में।
है यह बात सखे॥

केवल तन ने यात्रा की है, मन तो यहीं बँधा है।
सिर्फ न रोये हम उनका भी, व्यह्वल कण्ठ रुँधा है॥
रोज उतरते हैं प्रकाश बन, पूजा वाले क्षण में।
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
अब भी वे रहते हैं प्रतिक्षण, शान्तिकुञ्ज के ही आँगन में।
है यह बात सखे॥

आये थे वे हम सबकी ही, प्रज्ञा सुप्त जगाने।
और गए भी हम सबके ही, ब्रह्मकमल विकसाने॥
अतः अधिक तप पूजा लेने, पहुँचे नन्दनवन में।
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
अब भी वे रहते हैं प्रतिक्षण, शान्तिकुञ्ज के ही आँगन में।
है यह बात सखे, स्थिर हम-तुम सबके मन में॥
है यह बात सखे॥