युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो

युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ॥

जन-जन के प्रति विमल भावना, सबके हित की रहे कामना।
यह जीवन ही बने साधना, ऐसी कृपा करो॥
मेरे मन में कर्तव्यों के प्रति अनुराग भरो,
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ॥

पूरब की लाली बन जाओ, कलरव के स्वर में नित गाओ।
ज्योतित पावन पन्थ बनाओ, ऐसी कृपा करो॥
अन्धकार में बनकर मङ्गल किरण देवि बिखरो,
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ॥

मातृ-भूमि से प्यार हमें दो, निर्मल हृदय उदार हमें दो।
अपना मृदुल दुलार हमें दो, ऐसी कृपा करो॥
लक्ष्य दीप बन कर के मेरे मानस में निखरो,
आज तुम ऐसी कृपा करो॥
युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा करो॥

युग-युग पूजित गायत्री माँ, ऐसी कृपा करो।
आज तुम ऐसी कृपा करो॥