यह करुणा की धार, सूखने मत देना

यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥

बहुत तेज तूफान, घुमड़कर आया है।
धरा-गगन में, अन्धकार गहराया है॥
नाव बीच मझधार, डूबने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥
यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥

एक प्रभू की सभी, सगी सन्तानें हैं।
सभी एक अनुपम, माला के दाने हैं॥
यह अमूल्य गलहार, टूटने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥
यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥

हम सबके व्यवहार, कटीले कठोरे हैं।
हृदय मधुरता बिना, रेत के टीले हैं॥
सरल विमल व्यवहार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥
यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥

सम्वेदना जगी तो, जग लहराएगा।
स्वर्गिक वातावरण, धरा पर छाएगा॥
सतयुग-सा संसार, लूटने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥
यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥

यह करुणा की धार, सूखने मत देना।
जन-जन के प्रति प्यार, सूखने मत देना॥