तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ

तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ।
पिला दो ज्ञान का अमृत, पिपासा ले के आयी हूँ॥

रतन अनमोल लाने वाले, लाते भेंट को तेरी।
प्रभो मैं आँसुओं की मंजुमाला, ले के आयी हूँ॥
पिला दो ज्ञान का अमृत, पिपासा ले के आयी हूँ।
तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ॥

जगत के रंग सब फीके, तू अपने रंग में रंग दे।
मैं अपना यह महा बदरंग बाना, ले के आयी हूँ॥
पिला दो ज्ञान का अमृत, पिपासा ले के आयी हूँ।
तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ॥

प्रकाशानन्द हो जाये, प्रभु अन्धेरी कुटिया में।
तुम्हारा आसरा विश्वास, आशा ले के आयी हूँ॥
पिला दो ज्ञान का अमृत, पिपासा ले के आयी हूँ।
तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ॥
मैं इच्छा ले के आयी हूँ, मैं इच्छा ले के आयी हूँ।
तुम्हारे दिव्य-दर्शन की, मैं इच्छा ले के आयी हूँ॥