तजकर अपना रूप प्रभु जी, मैं पावन आकार हो गया

इतना चिन्तन किया तुम्हारा, तुमसे इतना प्यार हो गया।
भगवन तुमसे प्यार हो गया।
तजकर अपना रूप प्रभु जी, तजकर अपना रूप तुम्हारा, मैं पावन आकार हो गया॥
भगवन तुमसे प्यार हो गया।

एक-एक मिल दो होते हैं, यह तो है इतिहास पुराना।
एक-एक मिल एक हो गया, गणित भला यह किसने जाना॥
हम तुम मिलकर एक हो गए, यह अद्भुत व्यापार हो गया॥
तजकर अपना रूप प्रभु जी, तजकर अपना रूप तुम्हारा, मैं पावन आकार हो गया॥
भगवन तुमसे प्यार हो गया।

तब तक दूर रहे तुम जब तक, द्वैत भाव ने मन को घेरा।
ज्योति तुम्हारी पड़ी दिखाई, जब अद्वैत ने किया बसेरा॥
था अब तक जो निराकार वह, नयनों में साकार हो गया॥
तजकर अपना रूप प्रभु जी, तजकर अपना रूप तुम्हारा, मैं पावन आकार हो गया॥
भगवन तुमसे प्यार हो गया।

भव-बन्धन ने मुझको बाँधा, माया ने प्रतिपल भरमाया।
इस संस्कृति को जानूँ कैसे, जबकि स्वयं को जान न पाया॥
अपने को पहचान सका तब, जब मन पर अधिकार हो गया॥
तजकर अपना रूप प्रभु जी, तजकर अपना रूप तुम्हारा, मैं पावन आकार हो गया॥
भगवन तुमसे प्यार हो गया।

इतना चिन्तन किया तुम्हारा, तुमसे इतना प्यार हो गया।
भगवन तुमसे प्यार हो गया।
तजकर अपना रूप प्रभु जी, तजकर अपना रूप तुम्हारा, मैं पावन आकार हो गया॥
भगवन तुमसे प्यार हो गया।