सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो, देख पायें तुझे वह नयन दीजिए

सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए।
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥

तप किया आपने सिद्ध सब कुछ किया,
लोक हित में है सर्वार्थ अर्पित किया।
देव मानव बने, स्वर्ग धरती बने,
पूज्यवर आपने यह प्रण भी किया॥
अब यही चाह है, हे हमारे प्रभो,
आपका अनुसरण हो कृपा कीजिए॥
सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥

दिव्य सविता बने, रश्मियाँ बाँटने,
बन गए पुण्य गंगा तपन मेटने।
यों जलाई मशालें तिमिर भेदने,
पुण्य आलोक जग में लगा फैलने॥
व्रत यही ले रहे आज हम भी प्रभो,
लक्ष्य ऊँचा बनाएँ दिशा दीजिए॥
सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥

प्राण में प्रेरणा बन मचलते रहो,
भाव-सम्वेदना बन उछलते रहो।
बुद्धि में दिव्य चिन्तन बनो पूज्यवर,
इस मनुज देह में प्राण भरते रहो॥
हों समर्पित तुम्हारे चरण में प्रभो,
भूल जाएँ स्वयं को दया कीजिए॥
सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥

सूक्ष्म में रम गए हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥