सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर

सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर।
है वही सुमरने योग्य सखा, तू और किसी को याद न कर॥

अस्थिर हैं जग के ठाठ सभी, यदि बिछुड़ गए तो अचरज क्या।
हो लोभ-मोह के वशीभूत, सिर धुन के शोक-विषाद न कर॥
सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर॥

धन-माल अपार बटोर भले, पर इतना ध्यान अवश्य रहे।
अपना घर-बार बसाने को, औरों का घर बरबाद न कर॥
सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर॥

पर निन्दा को तज कर प्रकाश, आदर्श बना निज जीवन को।
सद्ज्ञान प्राप्त कर सज्जन से, दुर्जन से व्यर्थ विवाद न कर॥
सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर॥

सुख चाहे यदि नर जीवन का, जप ले प्रभु नाम प्रमाद न कर।
है वही सुमरने योग्य सखा, तू और किसी की याद न कर॥