सविता महान आपसे वरदान माँगते

सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

निर्बल ये प्राण आज तुम्हें टेर रहे हैं।
शुभ ज्योति को अज्ञान के घन घेर रहे हैं॥
सद्बुद्धि का, सद्ज्ञान का हम भान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥
सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

देना वो शक्ति चेतना को पग नये मिलें।
नव जागरण के जिंदगी के स्वर नये मिलें॥
गायें सृजन के राग, ऐसी तान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥
सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

तेरी प्रखरता सबकी आत्म-ज्योति पा सके।
सद्भाव का आलोक जिंदगी में छा सके॥
कल्मष-कषाय, दोषों से परित्राण माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥
सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

कर पायें देव साधना, बलिदान की तप की।
आराधना हम कर सकें पीड़ित दुःखी जन की॥
विमल-विभा, प्रखर-प्रकाश, प्राण माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥
सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥

सविता महान आपसे वरदान माँगते।
हे ज्योति पुँज, ज्योति का अनुदान माँगते॥