प्रातः ध्यान तीन शरीरों का - Morning Dhyan of three bodies in Shantikunj, Haridwar, UK. https://www.youtube.com/watch?v=EgDLnukM_JM
गायत्री तीर्थ, शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार दिग्दर्शन लाइव - Live stream from Shantikunj, Haridwar, UK.
Awgplive Shantikunj Live Stream 24/7
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Saptrishi Mandir — सप्तऋषियों की भूमि शान्तिकुञ्ज में सप्तऋषि मंदिर — ‘‘यहाँ सातों ऋषियों ने तपश्चर्या की थी और जो अभी भी ऊपर आसमान में दिखाई पड़ते हैं। उनकी जो
भूमि है—सप्तऋषि भूमि, वह भी यहीं हैं, जहाँ आपका शान्तिकुञ्ज बना हुआ है।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Sadhanaa Kaksha of P.Gurusatta - पू०गुरुसत्ता की तपःस्थली - देवत्व के विकसित होने पर कोई भी उन्नति के शिखर पर जा पहुँचा सकता है, चाहे वह सांसारिक हो अथवा आध्यात्मिक। संसार और अध्यात्म में कोई फर्क नहीं पड़ता। गुणों के इस्तेमाल करने का तरीका भर है। गुण अपने आप में शक्ति के पुंज हैं, कर्म अपने आप में शक्ति के पुंज हैं और स्वभाव अपने आप में शक्ति के पुंज हैं। इन्हें कहाँ इस्तेमाल करना चाहते हैं, यह आपकी इच्छा की बात है। - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Diksha Sanskar - दीक्षा संस्कार — एक शपथ-एक अनुबन्ध — जैसे पहली बार अन्न खाया जाता है, उस दिन अन्नप्राशन का उत्सव मनाया जाता है। उसी प्रकार से जिस दिन प्रतिज्ञामय जीवन जीने की कसम खाई जाती है, शपथ खाई जाती है कि हमारा मुख इस ओर मुड़ गया और हम अपने कर्तव्यों की ओर अग्रसर होने को कटिबद्ध हो गये हैं; उसकी जो प्रतिज्ञा की जाती है, उसकी जो शपथ ली जाती है, उस शपथ का नाम ‘दीक्षा समारोह है’, ‘दीक्षा उत्सव’ है, ‘दीक्षा संस्कार’ है। शपथ ली जाती है कि हम अपने आपको उससे यह प्रकृति के साथ नहीं, वासना के साथ नहीं, तृष्णा के साथ नहीं, बल्कि अपने को अपनी जीवात्मा के साथ जोड़ते हैं और अपने मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार को अपनी आत्मा के साथ जोड़ते हैं। अपनी क्रियाशीलता और सम्पदा को अपनी आत्मा के साथ जोड़ते हैं। आत्मा का अर्थ परमात्मा जो कि शुद्ध और परिष्कृत रूप से हमारे अंतःकरण में बैठा हुआ है। - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Shiv Mandir — शिव-मन्दिर — ‘‘भवानी-शंकर कौन हैं? ‘श्रद्धा विश्वास रूपिणौ’ अर्थात् श्रद्धा का नाम पार्वती और विश्वास का नाम शंकर। श्रद्धा और विश्वास—इन दोनों का नाम ही शंकर-पार्वती है। इनका प्रतीक, विग्रह मूर्ति हम मंदिरों में स्थापित करते हैं। इनके चरणों पर अपना मस्तक झुकाते हैं, जल चढ़ाते हैं, बेल-पत्र चढ़ाते हैं, आरती करते हैं। यह सब क्रिया-कृत्य करते हैं, लेकिन मूलतः शंकर क्या है? श्रद्धा और विश्वास। ‘याभ्यां बिना न पश्यन्ति’—जिनकी पूजा किए बिना कोई सिद्धपुरुष भी भगवान को प्राप्त नहीं हो सकते।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Gayatri Mahayagya — दैनिक गायत्री महामंत्र यज्ञ, गायत्री तीर्थ, शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार !! — ‘‘गायत्री मंत्र के साथ यज्ञ-ऊर्जा जुड़ जाने से अभीष्ट उद्देश्य का विस्तार उसी प्रकार होता है, जैसे पतली-सी आवाज लाउडस्पीकर के साथ जुड़ जाने पर दूर-दूर तक सुनी जा सकने योग्य बनती है। ...यज्ञाग्नि की बिजली गायत्री मंत्र की शब्द शृंखला के साथ समन्वित होकर अभीष्ट धर्मकृत्य को स्थानीय नहीं रहने देती, वरन् व्यापक क्षेत्र को प्रभावित करती है। उससे असंख्य लोग अनेकानेक प्रकार से लाभान्वित होते हैं।’’...‘‘यदि इसी आसमान में हम वेदमंत्रों की लहरें—यज्ञों के डायनमो, बैट्रियों के माध्यम से, भट्ठियों के माध्यम से फैला दें, तो फिर हम एक नयी फिजा पैदा कर सकते हैं और नयी दुनिया बना सकते हैं।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Devatma Himalaya Mandir — देवात्मा हिमालय मन्दिर — ‘‘हिमालय की अपनी महत्ता है। सारे ऋषियों ने वहीं निवास किया था। स्वर्ग भी पहले वहीं था। ऋषियों की भूमि भी वही है। बड़ी सामर्थ्यवान, बड़ी संस्कारवान भूमि है। हमको भी तप करने के लिए वहाँ भेज दिया गया था। हिमालय-मन्दिर क्या है? समस्त देवात्मा हिमालय का मन्दिर कहीं था नहीं। भारतवर्ष का यह एक बड़ा अभाव था। वह हमने दूर किया है, ताकि साधना की दृष्टि से कोई आदमी आना चाहे तो इस स्थान पर आकर वह महत्त्वपूर्ण लाभ उठा सके। हिमालय का मन्दिर और कहीं नहीं मिलेगा आपको। लोगों ने देवताओं के मन्दिर बनाए हैं, अमुक के मन्दिर बनाये हैं, तमुक के मन्दिर बनाए हैं, पर हिमालय का मन्दिर सिर्फ आपको यहीं देखने को मिलेगा।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Sun rise — सूर्योदय — ‘‘ॐ भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् स्वाहा। इदं सूर्याय इदं न मम।’’ — ‘‘उगता हुआ सूर्य — स्वर्णिम — सोने के समान — सूर्य-सविता — सविता-सूर्य — साधक का इष्ट, लक्ष्य, उपास्य — सूर्य-सविता — दिव्य प्रेरणा स्रोत-सविता — दिव्य चेतना स्रोत-सविता — स्वर्णिम प्रकाश से ओत-प्रोत - सविता — साधक का आत्म-विसर्जन — साधक-सविता एक — भक्त-भगवान एक — एकत्व — अद्वैत’’ ‘‘बेटा! मैं तीन स्थानों पर रहूँगा एक माताजी के पास, दूसरा सजल-श्रद्धा प्रखर-प्रज्ञा, तीसरा अखंड दीपक। — मेरा चौथा स्थान उगता हुआ सूर्य होगा।’’ — ‘‘सविता गायत्री का देवता है।...गायत्री
का सूरज इसे ही मानना चाहिए। यूनीवर्सल है यह।...सविता का ध्यान सबके लिए है, यूनीवर्सल है। मुसलमान धर्म में, ईसाई धर्म में, सब जगह भगवान का प्रतीक प्रकाश को माना गया है।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Gayatri Mandir — गायत्री मंदिर शान्तिकुञ्ज — ‘‘अब हम यहाँ सप्तऋषियों की भूमि शान्तिकुञ्ज में हैं। यहाँ सातों ऋषियों ने तपश्चर्या की थी और जो अभी भी ऊपर आसमान में दिखाई
पड़ते हैं। उनकी जो भूमि है—सप्तऋषि भूमि, वह भी यहीं हैं, जहाँ आपका शान्तिकुञ्ज बना हुआ है।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Akhand Deep — 1926 से प्रज्ज्वलित अखण्ड दीपक शान्तिकुञ्ज — एक दिन पूज्यवर ने कहा, ‘‘शरीर छोड़ने के बाद क्षण भर के लिये हम निराकार हो जायेंगे, फिर उसी अखण्ड दीप की ज्वलंत लौ में
समाहित हो जायेंगे, वही मेरी प्रतिमा होगी।’’ ... ‘‘शरीरों के निष्प्राण होने के बाद, जो चर्म चक्षुओं से हमें देखना चाहेंगे, वे इसी अखण्ड ज्योति की जलती लौ में हमें देख सकेंगे। भविष्य में दोनों की सत्ता एक में विलीन हो जायेगी और उसे तेल-बाती की पृथक सत्ताओं के एक ही लौ में समाविष्ट होने की तरह अद्वैत रूप में गंगा-यमुना के संगम रूप में देखा जा सकेगा।’’ - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj
Sajal Shraddhaa - Prakhar Pragya — "ऋषियुग्म गुरुसत्ता" की कारण चेतना से घनीभूत शक्तिकेन्द्र — समाधि स्थल — सजल-श्रद्धा प्रखर-प्रज्ञा — ‘‘बेटा! मैं तीन स्थानों पर रहूँगा एक माताजी के पास, दूसरा सजल-श्रद्धा प्रखर-प्रज्ञा, तीसरा अखंड दीपक। — मेरा चौथा स्थान उगता हुआ सूर्य होगा।’’ - ऋषियुग्म पं. श्रीराम आचार्य जी एवं परम वंदनीया माताजी अपने जीवन काल में भी और महाप्रयाण के बाद आज भी लोगों को उँचा उठाने और कष्ट-कठिनाइयों को दूर करने में सहायता करते रहे हैं। उनसे भाव-भरी प्रार्थना करने का सर्वसुलभ स्थान है ऋषियुग्म के समाधि स्थल। लोगों का एकमत से अनुभव है कि अपने भक्तों की हितकारी प्रार्थनाओं को पूरा करने के लिए वे सदैव की भाँति आज भी हर संभव सहयोग प्रदान करते हैं। - Share this post with other parijan/friends also. You may download "Live Darshan of Shantikunj" android app also from https://goo.gl/CTEFjA or https://tinyurl.com/livedarshanshantikunj