॥ गायत्री-मंत्राहुतिः॥
व्याख्या सभी याजक सविता देवता का
ध्यान करते हुए प्रार्थना करें कि, सविता देवता हम सबको बलपूर्वक सन्मार्ग पर आगे
बढ़ाएँ। सभी परिजन कमर सीधी करके बैठें। मध्यमा, अनामिका और अँगुष्ठ के सहारे हवन-सामग्री
लेकर तेरा तुझको अर्पण का भाव रखते हुए स्वाहा के साथ यज्ञ भगवान् को अपनी आहुतियाँ
समर्पित करें।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
स्वाहा। इदं गायत्र्यै इदं न मम।
॥ अनिष्ट निवारणार्थं अभीष्ट संवर्द्धनार्थं आहुतिः॥
व्याख्या— ये आहुतियाँ परिवर्तनकारी
महाकाल को समर्पित हैं। उनकी प्रेरणा से जागृत आत्माओं में साहस का संचार हो, सदाचरण
के शुभ संस्कार सबमें जागृत हों तथा भ्रष्टाचार की कुप्रवृत्ति का समूल नाश हो।
इसी भावना के साथ शिव-गायत्री मंत्र से आहुतियाँ समर्पित करें।
ॐ पंचवक्त्राय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् स्वाहा।
इदं रुद्राय इदं न मम।
।। सूर्य गायत्री मंत्राहुतिः।।
व्याख्या— सविता देवता के विधेयात्मक लाभ हम सभी
को प्राप्त हों, इसी भाव के साथ सूर्य गायत्री मंत्र से आहुतियाँ समर्पित करें।
ॐ भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् स्वाहा।
इदं सूर्याय इदं न मम।
॥ महामृत्युञ्जय-मंत्राहुतिः॥
व्याख्या— आज ...... परिजनों का जन्मदिन है। इनके
स्वास्थ्य लाभ एवं मंगलमय जीवन तथा दीर्घायुष्य की कामना करते हुए, साथ ही आज.........
परिजनों का विवाह दिन है। इनके सुखी-सफल दाम्पत्य एवं मंगलमय जीवन की कामना करते
हुए साथ ही विशाल देव-परिवार से जुड़े सभी परिजनों की आध्यात्मिक उन्नति एवं नीरोग
जीवन की कामना करते हुए विशेष आहुतियाँ यज्ञ भगवान् को समर्पित करें।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय
माऽमृतात् स्वाहा। इदं महामृत्युञ्जयाय इदं न मम्।
।। महाकाल गायत्री मंत्राहुतिः।।
व्याख्या— प्रखर-प्रज्ञा के रूप में परम पूज्य
गुरुदेव को श्रद्धापूर्वक आहुतियाँ समर्पित करें।
ॐ प्रखर प्रज्ञाय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नः श्रीरामः प्रचोदयात्
स्वाहा। इदं महाकालाय इदं न मम।
।। महाशक्ति गायत्री मंत्राहुतिः।।
व्याख्या— सजल-श्रद्धारूपा वात्सल्यमयी माँ,
परम वन्दनीया माताजी को श्रद्धापूर्वक अपनी आहुतियाँ समर्पित करें।
ॐ सजल श्रद्धायै विद्महे, महाशक्त्यै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् स्वाहा।
इदं महाशक्त्यै इदं न मम।।
।। दिवंगतानां शान्त्यर्थम् आहुतिः।।
व्याख्या— ...................क्षेत्र में
आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा से हजारों मानव तथा प्राणी समुदाय अकाल ही काल कवलित
हो गये। उनकी आत्मा की शांति के लिए साथ ही इस दुर्घटना में जो घायल हो गये हैं,
उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ एवं उनके परिवारीजनों को, इस वज्रपात को सहन करने की
शक्ति व संतुलन के लिए देव शक्तियों से प्रार्थना करते हुए उन्हें आहुतियाँ प्रदान
की जा रही हैं।
ॐ शन्नो मित्रः शं वरुणः, शन्नो भवत्वर्य्यमा। शन्नऽइन्द्रो बृहस्पतिः,
शन्नो विष्णुरुरुक्रमः स्वाहा। इदं दिवंगतानां शान्त्यर्थं इदं न मम।
।। वरुण गायत्री मंत्राहुतिः।।
व्याख्या— वरुण देव जल के अधिष्ठाता देवता हैं। धरती
पर जल का संतुलन उन्हीं की कृपा से संभव है। धरती पर जहाँ जल की आवश्यकता है, वहाँ
जल की वर्षा हो, इसी उद्देश्य से ये आहुतियाँ वरुण देवता को समर्पित की जा रही
हैं।
ॐ जलबिम्बाय विद्महे, नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो वरुणः प्रचोदयात् स्वाहा।
इदं वरुणाय इदं न मम।
।। शांति पाठ।।
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष ☋ शान्तिः, पृथिवी शान्तिरापः, शान्तिरोषधयः शान्तिः। वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः, शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः, सर्व☋शान्तिः, शान्तिरेव शान्तिः, सा मा शान्तिरेधि। ॐ शान्तिः, शान्तिः, शान्तिः। सर्वारिष्ट सुशान्तिर्भवतु।