खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में खड़े रहो तुम अविचल होकर सब संकट तूफ़ानी में। डिगो न अपने प्रण स तो तुम सब कुछ पा सकते हो प्यारे, तुम भी ऊँचे उठ सकते हो छू सकते हो नभ के तारे।