हिमालय

खड़ा हिमालय बता रहा है,
डरो न आँधी पानी में
खड़े रहो तुम अविचल होकर
सब संकट तूफ़ानी में।
डिगो न अपने प्रण स तो तुम
सब कुछ पा सकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो
छू सकते हो नभ के तारे।

मुख
जालराज
1
Hosted by www.Geocities.ws